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श्रीराम महायज्ञ के चौथे दिन तक 21 लाख 21 हजार आहुतियां, रामपुरा में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

दैनिक राजस्थान समाचार, संवाददाता प्रदीप कुमार शर्मा, गढटकनेत–अजीतगढ़। रामपुरा स्थित श्री सीताराम जी बड़े मंदिर परिसर में टीलाद्वाराचार्य महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 हरिदास महाराज के सान्निध्य में 21 नवम्बर से जारी 108 कुण्डीय 9 दिवसीय श्रीराम महायज्ञ में चौथे दिन तक पुरुष सूक्त एवं श्रीराम मंत्र की कुल 21 लाख 21 हजार आहुतियां अर्पित की जा चुकी हैं। यज्ञशाला में सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा और परिक्रमा पथ पर भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी।
यज्ञाचार्य पंडित रतनलाल लाटा के निर्देशन में गणपति, षोडश मातृका, सप्तघृत मातृका, चतुषष्टीयोगिनी, नवग्रह, पंच लोकपाल, दिग्पाल, सर्वतोभद्र मंडल सहित विभिन्न देवताओं का पूजन एवं नित्य अर्चन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ संपन्न हुआ। इसके बाद महामण्डलेश्वर हरिदास महाराज तथा 107 यजमानों ने सपत्नीक अपने-अपने कुण्डों में आहुतियां अर्पित कीं।
प्रधान कुण्ड पर आए हुए साधु-संतों एवं विशिष्ट अतिथियों ने भी आहुतियां दीं।
सोमवार रात 7:30 से 10:30 बजे तक संगीतमय सुंदरकांड पाठ का भव्य आयोजन हुआ, जिसे गढटकनेत के श्री बजरंग मंडल के कलाकारों ने प्रस्तुत किया। पंगत-प्रसादी की नवीन एवं सुव्यवस्थित व्यवस्था श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, जिसकी सभी ने सराहना की। पाटिए सजाकर प्रसादी वितरण की अनूठी परंपरा लोगों को विशेष रूप से प्रभावित कर रही है।
महायज्ञ में दिवराला बालाजी धाम के संत किशन दास महाराज, नांगल धाम के सेडूदास महाराज एवं बाड़ी जोड़ी धाम के भींवादास महाराज ने भी पधारकर आहुतियां दीं और जनकल्याण की कामना की।
पिछले चार दिनों से पूरा रामपुरा गांव पुरुष सूक्त, श्रीराम मंत्र एवं वैदिक मंत्रोच्चार की मधुर ध्वनियों से गुंजायमान है। श्रद्धालु यज्ञ दर्शन, कथा श्रवण, संत प्रवचन, रामलीला, सुंदरकांड, भजन-सत्संग और पंगत-प्रसादी सहित विविध आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आनंद ले रहे हैं। दिन और रात के बीच का अंतर तक महसूस नहीं हो रहा—गांव पूरी तरह धार्मिक रंग में रंगा दिखाई दे रहा है।
यज्ञाचार्य पंडित रतनलाल लाटा ने बताया कि चौथे दिन तक 21 लाख 21 हजार आहुतियों का पवित्र योग पूर्ण हुआ है। 131 विद्वान पंडितों की अगुवाई में चल रहे इस महायज्ञ की विशेषता यह है कि इसके साथ श्रीरामचरितमानस, वाल्मीकीय सुंदरकांड एवं मूल रामायण पाठ भी निरंतर जारी हैं, जिससे संपूर्ण क्षेत्र भक्तिमय वातावरण में डूबा हुआ है।

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