
दैनिक राजस्थान समाचार दौसा। पीपुल्स एक्शन फॉर रूरल अवेकनिंग (पारा) नई दिल्ली एवं दलित अधिकार केन्द्र, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में 21 नवम्बर 2025 को रावत पैलेस, आगरा रोड, दौसा में दलित/आदिवासी एवं महिला पंचायतीराज जनप्रतिनिधियों का एक दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एडवोकेट चन्दा लाल बैरवा, राज्य समन्वयक (रिसर्च), पारा, नई दिल्ली ने प्रशिक्षण शिविर के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज भी अनेक पंचायतीराज जनप्रतिनिधि अपने अधिकारों की पूर्ण जानकारी के अभाव में उनका उपयोग नहीं कर पाते। विशेष रूप से दलित, आदिवासी और महिला प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी के बिना लोकतंत्र अधूरा है। उन्होंने कहा कि पंचायतों को कितना बजट मिलता है तथा उसका उपयोग कहाँ होता है—इसकी जानकारी भी अधिकांश प्रतिनिधियों को नहीं होती।
दलित अधिकार केन्द्र जयपुर के मुख्य कार्यकारी एडवोकेट हैमन्त मीमरौठ ने 73वें संविधान संशोधन की विशेषताओं पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह संशोधन स्थानीय स्वशासन को सुदृढ़ करने तथा दलितों व महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास था। उन्होंने बताया कि 1959 में नागौर से पंचायतीराज की शुरुआत हुई, जबकि 1993 में 73वें संशोधन ने तीन स्तरीय पंचायत व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा दिया।
पंचायतीराज विशेषज्ञ श्री ताजुउद्वीन खान ने पंचायतों की त्रि-स्तरीय संरचना—जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत—की भूमिकाओं एवं शक्तियों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने स्थायी समितियों के गठन, चुनाव आयोग, आरक्षण व्यवस्था, विकेन्द्रीकरण और जनभागीदारी की मूल अवधारणा पर भी प्रकाश डाला।
नगर पालिका भाण्डारेज के चेयरमेन रामप्रसाद बौद्ध ने ग्राम स्तर पर गठित स्थाई समितियों—सामाजिक न्याय समिति, प्रशासनिक समिति, वित्त एवं कराधान समिति, विकास एवं उत्पादन समिति तथा शिक्षा समिति—की भूमिका पर विस्तृत जानकारी दी।
ग्राम पंचायत पण्डितपुरा (बसवा) के सरपंच बिहारी लाल ने कहा कि ग्राम पंचायतें तभी मजबूत बन सकती हैं जब वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हों। उन्होंने पंचायत की आय बढ़ाने, कर वसूली, स्थानीय व्यवसायों से राजस्व प्राप्त करने तथा ग्रामीणों को दान हेतु प्रेरित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
ग्राम पंचायत हिंगवा के सरपंच मुन्ना लाल महावर ने ग्राम विकास समिति की भूमिका बताते हुए कहा कि कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में यह समिति महत्वपूर्ण योगदान देती है।
दलित अधिकार केन्द्र की जिला समन्वयक सुनीता देवी बैरवा ने ग्रामीण पेयजल, स्वास्थ्य, सफाई, संचार, ग्रामदान तथा समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण से जुड़े सामाजिक न्याय के मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि केवल आर्थिक विकास पर्याप्त नहीं है, बल्कि सामाजिक विकास और सामाजिक न्याय भी उतने ही आवश्यक हैं।
कार्यक्रम समन्वयक मांगी लाल बैरवा ने पंचायतों को मिलने वाले बजट, योजनाओं की स्वीकृतियाँ, स्थानीय आय के स्रोतों तथा पालनहार, विधवा व वृद्धावस्था पेंशन, फव्वारा योजना, खेत फार्म पाउण्ड, शुभलक्ष्मी सहित विभिन्न सामाजिक-आर्थिक उत्थान योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी।
शिविर में 45 महिला-पुरुष जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।




