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आईआईटी खड़गपुर के शोध में खुलासा: गर्म चाय के संपर्क में आते ही घुल जाती है कप की प्लास्टिक लाइनिंग

आईआईटी खड़गपुर के शोध में खुलासा: गर्म चाय के संपर्क में आते ही घुल जाती है कप की प्लास्टिक लाइनिंग

दैनिक राजस्थान समाचार नागपाल शर्मा अलवर।अलवर- डिस्पोजेबल पेपर कप में चाय या कॉफी पीने के शौकीनों के लिए एक चौंकाने वाली खबर है। प्लास्टिक के बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए जिस पेपर कप को एक बेहतर विकल्प माना जा रहा था, वह भी अब स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया है कि पेपर कप में गर्म पेय पीने से हर घूंट के साथ हजारों की संख्या में माइक्रोप्लास्टिक के कण आपके शरीर में जा रहे हैं।

*माइक्रोप्लास्टिक का बढ़ता खतरा*

आईआईटी खड़गपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा किए गए इस शोध ने पहली बार भारत में इस खतरे की पुष्टि की है। अध्ययन में पाया गया कि पेपर कप को तरल पदार्थ रोकने के लिए अंदर से जिस पतली प्लास्टिक (पॉलीथीन या को-पॉलीमर) की परत से ढका जाता है, वह गर्म चाय या कॉफी (85°C से 90°C) के संपर्क में आने पर बहुत तेजी से टूटने लगती है।

*शोध के प्रमुख निष्कर्ष:*

✓ एक पेपर कप में 100 मिलीलीटर गर्म तरल को सिर्फ 15 मिनट तक रखने पर उसमें लगभग 25,000 माइक्रोप्लास्टिक कण घुल जाते हैं।

✓ ये कण 10 माइक्रोमीटर से लेकर 1000 माइक्रोमीटर आकार के होते हैं, जो नग्न आँखों से दिखाई नहीं देते।

*रोजाना 75,000 कण निगलने का जोखिम*

शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि कोई व्यक्ति दिन में औसतन तीन बार पेपर कप में चाय या कॉफी पीता है, तो वह रोजाना 75,000 माइक्रोप्लास्टिक कणों को निगल रहा है।

प्रोफेसर सुधा गोयल, जिन्होंने इस अध्ययन का नेतृत्व किया, के अनुसार, “हमारे शोध से पुष्टि हुई है कि कप की लाइनिंग सामग्री से माइक्रोप्लास्टिक और अन्य खतरनाक घटकों के क्षरण (Degradation) के कारण गर्म तरल दूषित हो रहा है।”

*कैंसर सहित गंभीर बीमारियों का वाहक*

शोध में सीधे तौर पर यह नहीं कहा गया है कि माइक्रोप्लास्टिक से कैंसर होता है, लेकिन विशेषज्ञों ने इसके गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों पर चिंता व्यक्त की है।

ये माइक्रोप्लास्टिक कण, पैलेडियम, क्रोमियम और कैडमियम जैसे जहरीले भारी धातुओं (Toxic Heavy Metals) और अन्य हाइड्रोफोबिक (जल-विकर्षक) कार्बनिक यौगिकों के लिए वाहक (Carrier) का काम कर सकते हैं।

ये खतरनाक पदार्थ शरीर के अंदर प्रवेश कर सकते हैं, जिससे हार्मोनल असंतुलन, पाचन संबंधी समस्याएं और लंबे समय में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

प्लास्टिक के विकल्प पर पुनर्विचार की जरूरत

आईआईटी खड़गपुर के निदेशक ने टिप्पणी की थी कि यह अध्ययन दिखाता है कि जैव-खतरनाक उत्पादों और पर्यावरण प्रदूषकों के विकल्प को बढ़ावा देने से पहले सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “हम प्लास्टिक कप और गिलासों को जल्दबाजी में डिस्पोजेबल पेपर कप से बदलने लगे हैं, लेकिन यह नया खतरा सामने आया है।”

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की अपील है कि नागरिक गर्म पेय पीने के लिए सुरक्षित विकल्पों, जैसे कि अपने खुद के काँच, चीनी मिट्टी (Ceramic) या स्टील के कप का इस्तेमाल करें।

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