
दैनिक राजस्थान समाचार संवाददाता प्रदीप कुमार शर्मा गढ़टकनेत/अजीतगढ़। अजीतगढ़ कस्बे के कुसुमपुरा मोहल्ले स्थित श्री रघुनाथ जी मंदिर में त्रिवेणी धाम संत राम रिछपाल दास महाराज के सान्निध्य में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन शनिवार को भक्तों ने आध्यात्मिक भाव-विभोर कर देने वाले प्रसंगों का श्रवण किया।
कथावाचक पंडित जुगल किशोर शर्मा ने माता देवहूति को भगवान कपिल द्वारा दिए गए दिव्य ज्ञान—सांख्य दर्शन, भक्ति योग और मन की आसक्ति से मुक्ति—का विस्तारपूर्वक वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान कपिल ने माता देवहूति को आत्मा के स्वरूप, मन को ईश्वर में लीन रखने, इंद्रियों को संयमित करने और सांसारिक बंधनों से मुक्त होने का मार्ग समझाया। यह ज्ञान मोक्ष प्राप्ति की दिशा में प्रमुख मार्गदर्शक है।
इसके पश्चात कथा में हिरण्यकश्यप के उद्धार और भक्त प्रह्लाद की रक्षा हेतु भगवान नृसिंह के अवतरण का मार्मिक प्रसंग सुनाया गया। पंडित शर्मा ने बताया कि भगवान नृसिंह ने संध्या वेला में, महल के द्वार पर, अपने नखों द्वारा हिरण्यकश्यप का वध कर भक्त प्रह्लाद की रक्षा की। यह प्रसंग भक्त-वत्सलता, धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश का प्रतीक है।
कथा के दौरान महाभारत युद्ध के अंत में भीम द्वारा की गई श्रीकृष्ण स्तुति का भी वर्णन किया गया, जिसमें उन्होंने श्रीकृष्ण को सर्वव्यापक, अजन्मा और समस्त जगत के हितकारी परमात्मा के रूप में नमन किया।
श्री रघुनाथ जी मंदिर में यह सप्त दिवसीय कथा 20 से 26 नवम्बर तक आयोजित की जा रही है। प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक संगीतमय कथा का आयोजन हो रहा है। तीसरे दिन कुसुमपुरा सहित आसपास के गांवों और ढाणियों से बड़ी संख्या में भक्त कथा श्रवण हेतु पहुँचे और आध्यात्मिक रस में डूबे रहे।



