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औषधि गुणवत्ता को लेकर चिकित्सा विभाग सख्त, सघन निरीक्षण जारी— लेवोसेट्रीजीन डाईहाईड्रोक्लोराईड (विनसेट-एल) टेबलेट का स्टॉक जब्त —दवा में सक्रिय घटक पाया गया शून्य —निर्माता कम्पनी का परिसर सील, जल्द न्यायालय में वाद दायर किया जाएगा

दैनिक राजस्थान समाचार घनश्याम शर्मा जयपुर-औषधि गुणवत्ता को लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग लगातार सख्त कदम उठा रहा है। चिकित्सा मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के निर्देशन में लगातार प्रदेश में दवा निर्माताओं एवं विक्रेताओं के यहां निरीक्षण कर नमूने लिए जा रहे हैं एवं कमियां पाई जाने पर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है। इसी कड़ी में प्रदेश में 24 फर्मों का निरीक्षण कर करते हुए लेवोसेट्रीजीन डाईहाईड्रोक्लोराईड (विनसेट-एल) टेबलेट के स्टॉक पर रोक लगाई गई है एवं करीब 20 लाख रूपए की दवाएं जब्त की गई हैं।चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ने बताया कि विगत दिनों देशभर में विभिन्न दवाओं की गुणवत्ता को लेकर सामने आई स्थिति के बाद प्रदेश में औषधि नियंत्रण आयुक्तालय द्वारा दवा निर्माताओं एवं विक्रेता फर्मों का निरीक्षण किया जा रहा है। दवाओं के नमूने लेकर क्वालिटी जांच की जा रही है एवं किसी भी तरह की शिकायत सामने आने पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। आयुक्त डॉ. टी शुभमंगला ने बताया कि विगत दिनों मुखबिर से गोपनीय सूचना मिली थी, जिसके के आधार पर औषधि नियंत्रण अधिकारी, धौलपुर द्वारा वाईएल फार्मा,बद्दी, हिमाचल प्रदेश द्वारा निर्मित लेवोसिट्रीजिन डाईहाईड्रोक्लोराईड(विनसेट-एल) टेबलेट के बैच संख्या वाईएलटी-25023 का नमूना लिया गया। राजकीय विश्लेषक औषधि परी़क्षण प्रयोगशाला, जयपुर की जांच में यह दवा नकली श्रेणी की पाई गई। इसमें सक्रिय घटक शून्य पाया गया। इस पर औषधि नियंत्रक डॉ. अजय फाटक को प्रभावी कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए गए थे। औषधि नियंत्रक ने राज्य में अलर्ट नोटिस जारी करते हुये विभिन्न जिलों के सहायक औषधि नियंत्रकों के माध्यम से सम्पूर्ण राज्य में विभिन्न 24 फर्मों के निरीक्षण किये गए और उक्त औषधि के बैच पर रोक लगाते हुये शेष बचे स्टाॅक को जब्त किया गया।

डॉ. शुभमंगला ने बताया कि वाईएल फार्मा द्वारा निर्मित अन्य औषधियों के अभी तक 44 नमूने व अन्य संदिग्ध निर्माताओं की औषधियों के 9 नमूने लिए गए हैं। साथ ही, करीब 20 लाख रूपए के शेष स्टाॅक के विक्रय पर रोक लगा दी गई है। अलर्ट नोटिस जारी होने के उपरान्त कुछ औषधि विक्रेताओं द्वारा नकली औषधि को खुर्द-बुर्द करने का प्रयास किया गया, परन्तु आयुक्तालय के अधिकारियों की सजगता से ऐसे औषधि विक्रताओं को चिन्हित कर औषधि बरामद कर ली गयी। हिमाचल प्रदेश के औषधि नियंत्रक से समन्वय स्थापित कर उक्त औषधि के निर्माता के निर्माण परिसर को भी सील कर आवश्यक कार्यवाही की गयी है।

हिमाचल प्रदेश के औषधि नियंत्रक ने बताया है कि निर्माता कम्पनी की औषधि निर्माण गतिविधियों पर 29 मार्च, 2025 से ही अग्रिम आदेशों तक रोक लगाई जा चुकी थी। हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान एवं उत्तराखण्ड के औषधि नियंत्रकों के द्वारा नकली औषधियों के निर्माण एवं विक्रय की रोकथाम के लिये आपस में सामन्जस्य स्थापित कर प्रभावी कार्यवाही किये जाने के लिये पूर्व में भी एक बैठक आयोजित की गयी थी। नकली औषधि के निर्माण में लिप्त दोषियों के विरूद्व सख्त कार्रवाई के उद्देश्य से राज्य के औषधि नियंत्रण अधिकारियों की दो टीम बनाकर हिमाचल प्रदेश भी भेजी गई है। अनुसंधान को फास्ट ट्रेक स्कीम के तहत लेकर दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलवाने की कार्यवाही के लिये शीघ्र ही न्यायालय में वाद दायर किया जाएगा।औषधि नियंत्रक श्री अजय फाटक ने आमजन से अपील की है कि औषधि डॉक्टर की पर्ची से लाइसेंसधारी मेडिकल स्टोर से ही लें और दवा का बिल अवश्य लें। दवा पैकेट पर निर्माता कम्पनी का नाम, बैच नम्बर, निर्माण एवं अवधिपार तिथि अवश्य देखें। बहुत सस्ती दवा, दवा की पैकिंग पर कोई गलत वर्तनी, टूटी सील या रंग फीका होना नकली दवा का संकेत हो सकता है, जिसके बारे में तुरन्त जिलों के औषधि नियंत्रण कार्यालयों के अधिकारियों को सूचना दें, जिससे ऐसे औषधि विक्रेताओ एवं निर्माताओं पर सख्त कार्रवाई की जा सके तथा अमानक एवं भ्रामक दवाओं की विशेष निगरानी कर रोकथाम में सहयोग मिल सके।

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