
दैनिक राजस्थान समाचार सोहन सिंह रावणा, तखतगढ़। नगर की नेहरू रोड पर सड़क किनारे से गुजर रही थ्री फेस बिजली लाइन आम जन की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। यह लाइन जमीनी स्तर से मात्र आठ फीट की ऊँचाई पर लटकी हुई है, जहाँ कई स्थानों पर खुले तार लटक रहे हैं। इसी मार्ग से प्रतिदिन बड़ी गाड़ियाँ, स्कूल बसें और दोपहिया वाहन गुजरते हैं। बरसात के दिनों में यहाँ पानी भरने से खतरा और भी बढ़ जाता है।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि कुछ दिन पहले एक स्कूल बस इस लाइन के समीप से गुजरते हुए बाल-बाल बची। यदि सड़क किनारे चल रहे राहगीर ने समय पर आवाज़ नहीं लगाई होती, तो बड़ा हादसा निश्चित था। सामने की दुकान के मालिक ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने कई बार बिजली विभाग को अवगत कराया, परंतु विभाग का जवाब था कि यह नगर पालिका का कार्य है। जब पालिका में शिकायत की गई, तो वहाँ से कहा गया कि यह बिजली विभाग का मामला है। अंततः स्थानीय लोगों ने ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज करवाई, किन्तु अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सड़क की स्थिति भी अत्यंत दयनीय है — जगह-जगह गड्ढे और टूटी सड़कों के कारण बारिश का पानी लंबे समय तक जमा रहता है। जल निकासी की कोई ठोस व्यवस्था नहीं होने से वाहन चालकों को मजबूरन रॉंग साइड से निकलना पड़ता है, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है।
आमजन का कहना है कि नगर पालिका द्वारा इस मार्ग पर कई बार टेंडर जारी किए गए, लेकिन वे केवल कागज़ों तक ही सीमित रहे। वर्षों से समस्या जस की तस बनी हुई है।
पूर्व व्यापार एवं उद्योग अध्यक्ष ने बताया कि “उस दिन यदि मैंने ज़ोर से आवाज़ नहीं लगाई होती, तो निजी बस तारों में फँसकर बड़ा हादसा हो सकता था।” इसके बाद स्थानीय लोगों ने मुख्य मार्ग पर पत्थर रखकर रास्ता बंद कर दिया ताकि कोई बड़ी बस उस दिशा से न गुज़रे।
अब प्रश्न यह है कि आखिर इस लापरवाही और जानलेवा खतरे का ज़िम्मेदार कौन है — आम जन, सरकार या प्रशासन?
जब तक समय रहते इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया जाता, नेहरू रोड किसी भी समय एक मौत का जाल साबित हो सकती है।




