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रामपुरा में 108 कुण्डात्मक 9 दिवसीय प्रथम श्रीराम महायज्ञ का शुभारंभ भव्य कलश-यात्रा के साथ

दैनिक राजस्थान समाचार संवाददाता – प्रदीप कुमार शर्मा,रामपुरा। रामपुरा स्थित ठाकुर जी श्री सीताराम जी बड़ा मंदिर में शुक्रवार से 9 दिवसीय 108 कुण्डात्मक श्रीराम महायज्ञ का शुभारंभ हुआ। श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर हरिदास महाराज के सान्निध्य में प्रारंभ हुए इस प्रथम महायज्ञ की शुरुआत भव्य एवं ऐतिहासिक कलश-यात्रा के साथ हुई।

सुबह ठीक 9:15 बजे 2100 महिलाओं ने परंपरागत वेशभूषा में मंगल कलश धारण कर कलश-यात्रा की। यह यात्रा रामेश्वर धाम शाहपुरा से विशेष पूजन-अर्चनाओं के बाद हाथी–घोड़े, बग्घी सवारी, गाजे-बाजे तथा ड्रम बीट्स के साथ रवाना हुई। करीब 5 किलोमीटर की दूरी तय कर यह शोभायात्रा महायज्ञ स्थल पहुंची। यात्रा मार्ग पर क्रेन, जेसीबी और ड्रोन से पुष्प वर्षा का दृश्य अत्यंत मनोहारी रहा।

यात्रा में त्रिवेणी धाम के संत राम रिछपाल दास महाराज, तामड़िया धाम के बजरंग देवाचार्य महाराज, दाऊधाम के बलदेवदास महाराज, छारसा धाम के छबीले शरण छीतरदास महाराज सहित अनेक संत-महात्माओं ने भाग लिया। क्षेत्रीय विधायक कुलदीप धनकड़ भी पूरे समय उपस्थित रहे। कुल मिलाकर 7–8 हजार श्रद्धालु कलश-यात्रा में शामिल रहे।

वैदिक विधानों के साथ यज्ञ आरंभ

यज्ञ स्थल पर यज्ञाचार्य पंडित रतनलाल लाटा के नेतृत्व में 121 विद्वान पंडितों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कलश पूजन, प्रायश्चित हवन, मंडप प्रवेश व देवताओं के आव्हान की विधि पूर्ण कराई।

महायज्ञ में 107 यजमान जोड़े आहुतियां देंगे, जबकि प्रधान कुंड पर संत हरिदास महाराज सहित संत-महात्मा और भक्तगण आहुतियां अर्पित करेंगे।

ग्राम पंचायत गढ़टकनेत से चुन्नीलाल रुण्डला यजमान के रूप में विराजमान हैं।

प्रति दिवस कथा, भजन-संध्या एवं सत्संग

रोहिताश दास महाराज के अनुसार महायज्ञ के दौरान प्रतिदिन—

दोपहर 12 से 3 बजे तक श्रीराम कथा

रात्रि 8 से 12 बजे तक सत्संग व भजन-संध्या आयोजित होगी।

21 से 28 नवंबर तक श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर सुदर्शन दास महाराज द्वारा श्रीमद्भागवत कथा प्रतिदिन 11 बजे से 3 बजे तक सुनाई जाएगी।

विशेष भजन-संध्याएं—
23 नवंबर – प्रकाशदास महाराज
26 नवंबर – लोकप्रिय भजन गायक रतन फौजी
27 नवंबर – लोकप्रिय कलाकार प्रकाश गुर्जर
28 नवंबर – प्रसिद्ध मासी गायक रोशन मासी
महायज्ञ की व्यवस्थाएं एवं तैयारियां
महायज्ञ स्थल पर—
108 कुण्ड निर्मित।
13 भट्टियों पर प्रसादी तैयार।
25 हलवाइयों द्वारा पहले चरण में लड्डू प्रसाद की तैयारी।
श्रद्धालुओं के लिए 40 बीघा क्षेत्र में तीन बड़े पार्किंग स्थल।
साधु-संतों के लिए अलग आवास व पार्किंग व्यवस्था।
मनोरंजन हेतु बड़े झूले व मौत का कुआं आकर्षण का केंद्र।

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